तुम्हारा दंभ, उम्र भर अपने खंडित टुकड़े बीनता रहता है। तुम्हारा दंभ, उम्र भर अपने खंडित टुकड़े बीनता रहता है।
फिर जलेगी होली, मनेगी दिवाली, फिर मचेगा शोर, वैसे ही चारो ओर, तू रहे न रहे। फिर जलेगी होली, मनेगी दिवाली, फिर मचेगा शोर, वैसे ही चारो ओर, तू रहे न रहे।
तुमसे बंधे हर क्षण में निहित है - मेरे शब्दों की सार्थकता जिसका कोई विकल्प नहीं कितना प्यारा स... तुमसे बंधे हर क्षण में निहित है - मेरे शब्दों की सार्थकता जिसका कोई विकल्प ...
कुछ अल्फ़ाज़ माँ के नाम। कुछ अल्फ़ाज़ माँ के नाम।
दुर्गा पूजा पर एक सामयिक कविता 'माँ ' दुर्गा पूजा पर एक सामयिक कविता 'माँ '